अग्नि पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसे अग्निदेव ने महर्षि वशिष्ठ को सुनाया था। यह पुराण ब्रह्मविद्या और धर्मशास्त्र के ज्ञान को प्रदान करने के लिए रचा गया था। बाद में वशिष्ठ ने इसे वेदव्यास को सिखाया और उन्होंने इसे सूत मुनि को सुनाया, जिन्होंने नैमिषारण्य में ऋषियों को यह पुराण सुनाया।
इस पुराण में सोला हजार श्लोक होने का उल्लेख है, लेकिन विभिन्न प्रतियों में इसकी संख्या चौदह से पंद्रह हजार के बीच बताई गई है। अग्नि पुराण में विभिन्न विषयों का समावेश है, जिसमें धार्मिक अनुष्ठान, तांत्रिक विधियाँ, राजधर्म, चिकित्सा, व्याकरण, काव्यशास्त्र, और ज्योतिष का विस्तृत वर्णन मिलता है।
इस पुराण की प्रारंभिक कथाओं में भगवान विष्णु के दशावतार का विस्तार से वर्णन किया गया है। इनमें से विशेष रूप से राम अवतार और कृष्ण अवतार की कथाएँ रामायण और महाभारत के आधार पर लिखी गई हैं।
अग्नि पुराण एक ज्ञानपरक ग्रंथ है, जिसमें विष्णु, शिव, आयुर्वेद, ज्योतिष, व्याकरण, और युद्ध नीति सहित कई विषयों का समावेश है।
अग्नि पुराण एक संहितात्मक ग्रंथ है, जो हिंदू धर्म के विविध पहलुओं को समाहित करता है और इसकी रचना इतिहास और शास्त्रों के बाद के काल में हुई।
इसका अध्ययन वेदों, उपनिषदों और अन्य पुराणों की गहरी समझ विकसित करने के लिए अत्यंत उपयोगी है।
अग्नि पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसे अग्निदेव ने महर्षि वशिष्ठ को सुनाया था। यह पुराण ब्रह्मविद्या और धर्मशास्त्र के ज्ञान को प्रदान करने के लिए रचा गया था। बाद में वशिष्ठ ने इसे वेदव्यास को सिखाया और उन्होंने इसे सूत मुनि को सुनाया, जिन्होंने नैमिषारण्य में ऋषियों को यह पुराण सुनाया।
इस पुराण में सोला हजार श्लोक होने का उल्लेख है, लेकिन विभिन्न प्रतियों में इसकी संख्या चौदह से पंद्रह हजार के बीच बताई गई है। अग्नि पुराण में विभिन्न विषयों का समावेश है, जिसमें धार्मिक अनुष्ठान, तांत्रिक विधियाँ, राजधर्म, चिकित्सा, व्याकरण, काव्यशास्त्र, और ज्योतिष का विस्तृत वर्णन मिलता है।
इस पुराण की प्रारंभिक कथाओं में भगवान विष्णु के दशावतार का विस्तार से वर्णन किया गया है। इनमें से विशेष रूप से राम अवतार और कृष्ण अवतार की कथाएँ रामायण और महाभारत के आधार पर लिखी गई हैं।
अग्नि पुराण एक ज्ञानपरक ग्रंथ है, जिसमें विष्णु, शिव, आयुर्वेद, ज्योतिष, व्याकरण, और युद्ध नीति सहित कई विषयों का समावेश है।
अग्नि पुराण एक संहितात्मक ग्रंथ है, जो हिंदू धर्म के विविध पहलुओं को समाहित करता है और इसकी रचना इतिहास और शास्त्रों के बाद के काल में हुई।
इसका अध्ययन वेदों, उपनिषदों और अन्य पुराणों की गहरी समझ विकसित करने के लिए अत्यंत उपयोगी है।