जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज के इस अद्भुत प्रवचन में भगवान की सृष्टि की विशालता, आकाशगंगा, सौर मंडल, और ब्रह्मांड की अन्य विशेषताओं का वर्णन किया गया है। यह प्रवचन हमें इस सृष्टि के चमत्कारिक और अनंत स्वरूप को समझने में मदद करता है।
आकाशगंगा के केंद्र से सूर्य तक प्रकाश पहुँचने में 25,000 वर्ष लगते हैं। प्रकाश की गति 1 सेकंड में 1,86,000 मील है। इस गति से चलते हुए भी, प्रकाश को आकाशगंगा के केंद्र से सूर्य तक पहुँचने में 25,000 वर्ष लगते हैं।
इससे यह पता चलता है कि हमारा सूर्य और इसका परिवार इस ब्रह्मांड का केवल एक छोटा-सा हिस्सा है।
हमारी पृथ्वी की परिधि लगभग 7,913 मील है, जबकि सूर्य का आकार पृथ्वी से 111 गुना बड़ा है।
इससे यह पता चलता है कि सूर्य, जो हमारे लिए इतना महत्वपूर्ण है, ब्रह्मांड में मौजूद अन्य सितारों की तुलना में बहुत छोटा है।
सूर्य के चारों ओर घूमने वाले ग्रह जैसे मंगल, बुध, शनि, बृहस्पति, और यम भगवान की सृष्टि की योजना का हिस्सा हैं।
सौर मंडल, भगवान की रचना की एक छोटी झलक है।
आकाशगंगा में हमारे सूर्य जैसे अनगिनत तारे हैं।
यह भगवान की अनंत रचना को दर्शाता है, जिसे मानव मस्तिष्क से समझना असंभव है।
जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज के अनुसार, भगवान की बनाई यह सृष्टि असीमित है।
यह सृष्टि समय और स्थान की सभी सीमाओं से परे है।
यह स्पष्ट करता है कि भगवान की लीला और उनकी बनाई यह रचना मानव की सोच और सीमाओं से परे है।
जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज के इस अद्भुत प्रवचन में भगवान की सृष्टि की विशालता, आकाशगंगा, सौर मंडल, और ब्रह्मांड की अन्य विशेषताओं का वर्णन किया गया है। यह प्रवचन हमें इस सृष्टि के चमत्कारिक और अनंत स्वरूप को समझने में मदद करता है।
आकाशगंगा के केंद्र से सूर्य तक प्रकाश पहुँचने में 25,000 वर्ष लगते हैं। प्रकाश की गति 1 सेकंड में 1,86,000 मील है। इस गति से चलते हुए भी, प्रकाश को आकाशगंगा के केंद्र से सूर्य तक पहुँचने में 25,000 वर्ष लगते हैं।
इससे यह पता चलता है कि हमारा सूर्य और इसका परिवार इस ब्रह्मांड का केवल एक छोटा-सा हिस्सा है।
हमारी पृथ्वी की परिधि लगभग 7,913 मील है, जबकि सूर्य का आकार पृथ्वी से 111 गुना बड़ा है।
इससे यह पता चलता है कि सूर्य, जो हमारे लिए इतना महत्वपूर्ण है, ब्रह्मांड में मौजूद अन्य सितारों की तुलना में बहुत छोटा है।
सूर्य के चारों ओर घूमने वाले ग्रह जैसे मंगल, बुध, शनि, बृहस्पति, और यम भगवान की सृष्टि की योजना का हिस्सा हैं।
सौर मंडल, भगवान की रचना की एक छोटी झलक है।
आकाशगंगा में हमारे सूर्य जैसे अनगिनत तारे हैं।
यह भगवान की अनंत रचना को दर्शाता है, जिसे मानव मस्तिष्क से समझना असंभव है।
जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज के अनुसार, भगवान की बनाई यह सृष्टि असीमित है।
यह सृष्टि समय और स्थान की सभी सीमाओं से परे है।
यह स्पष्ट करता है कि भगवान की लीला और उनकी बनाई यह रचना मानव की सोच और सीमाओं से परे है।