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कनाडा के ब्रैम्पटन में 54 फुट ऊँची भगवान शिव प्रतिमा का भव्य अनावरण, हजारों भक्त बने साक्षी

कनाडा के ब्रैम्पटन में 54 फुट ऊँची भगवान शिव प्रतिमा का भव्य अनावरण, हजारों भक्त बने साक्षीAI द्वारा विशेष रूप से इस लेख के लिए निर्मित एक चित्र।🔒 चित्र का पूर्ण अधिकार pauranik.org के पास सुरक्षित है।

कनाडा के ब्रैम्पटन में 54 फुट ऊँची भगवान शिव प्रतिमा का भव्य अनावरण

ब्रैम्पटन (ओंटारियो), 18 सितंबर 2025।

उत्तर अमेरिका में हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति की पहचान को नया आयाम देते हुए कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में भवानी शंकर मंदिर परिसर में भगवान शिव की विशाल प्रतिमा का भव्य अनावरण किया गया। 54 फुट ऊँची यह प्रतिमा फिलहाल उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊँची शिव प्रतिमा मानी जा रही है और इसे देखकर श्रद्धालु ही नहीं, बल्कि पूरा प्रवासी भारतीय समुदाय गर्व से भर उठा।

समुदाय की भागीदारी और दो साल की मेहनत

प्रतिमा का निर्माण राजस्थान के मूर्तिकार नरेश कुमार कुमावत की देखरेख में पूरा हुआ। उन्होंने बताया कि इस परियोजना में लगभग दो वर्षों की लगातार मेहनत लगी और इसे स्थानीय समुदाय के सहयोग से संभव बनाया गया। इस भव्य स्थापना के पीछे भारतीय मूल के प्रवासी हिंदुओं का सामूहिक योगदान और व्यापक फंडरेज़िंग अभियान रहा।

उद्घाटन समारोह का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

अनावरण समारोह में हजारों भक्त मौजूद रहे। पूरे परिसर में भजन-कीर्तन, वेद मंत्रोच्चारण और पारंपरिक रथ यात्रा ने माहौल को आध्यात्मिक और उत्सवपूर्ण बना दिया। मंदिर प्रबंधन और स्थानीय धार्मिक नेताओं ने इसे कनाडा में हिंदू समुदाय की एकता और आस्था का जीवंत प्रतीक बताया। मंदिर समिति ने कहा कि यह आयोजन केवल धार्मिक महत्व का नहीं है, बल्कि यह ब्रैम्पटन की सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता का भी उत्सव है। स्थानीय नेताओं और राजनेताओं ने भी भाग लिया और इसे “धर्म और संस्कृति के पुल” के रूप में वर्णित किया।

भारतीय विरासत का वैश्विक संदेश

इस प्रतिमा के अनावरण को भारतीय प्रवासी समुदाय ने “ऐतिहासिक क्षण” करार दिया। स्थानीय मीडिया ने इसे कनाडाई हिंदू समाज की दृढ़ता और पहचान का प्रतीक बताया। विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी ऊँचाई और कलात्मकता वाली शिव प्रतिमा कनाडा में न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बनेगी, बल्कि पर्यटकों और शोधकर्ताओं को भी आकर्षित करेगी। प्रतिमा का आध्यात्मिक महत्व भी गहरा है। भगवान शिव, जिन्हें संहार और सृजन दोनों का देवता माना जाता है, इस रूप में प्रवासी भारतीयों के लिए स्थायी प्रेरणा का स्रोत होंगे। यह प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों और परंपराओं से जोड़े रखने का कार्य करेगी।

भविष्य के लिए दृष्टिकोण

भवानी शंकर मंदिर प्रबंधन का कहना है कि इस परियोजना के बाद मंदिर परिसर को और विकसित करने की योजना है—जिसमें सांस्कृतिक केंद्र, पुस्तकालय और सामुदायिक हॉल भी शामिल होंगे। इसका उद्देश्य है कि न केवल धार्मिक आस्था को मज़बूती मिले, बल्कि सांस्कृतिक संवाद और सामाजिक एकजुटता भी बढ़े।

निष्कर्ष

ब्रैम्पटन में भगवान शिव की 54 फुट ऊँची प्रतिमा का यह अनावरण केवल एक मूर्ति की स्थापना नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की वैश्विक उपस्थिति का सशक्त उद्घोष है। यह कार्यक्रम दिखाता है कि प्रवासी भारतीय समुदाय अपनी जड़ों से गहराई से जुड़ा है और अपनी पहचान को दुनिया के सामने सम्मानपूर्वक स्थापित करने में सक्षम है।


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कनाडा के ब्रैम्पटन में 54 फुट ऊँची भगवान शिव प्रतिमा का भव्य अनावरण, हजारों भक्त बने साक्षीAI द्वारा विशेष रूप से इस लेख के लिए निर्मित चित्र।

कनाडा के ब्रैम्पटन में 54 फुट ऊँची भगवान शिव प्रतिमा का भव्य अनावरण

ब्रैम्पटन (ओंटारियो), 18 सितंबर 2025।

उत्तर अमेरिका में हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति की पहचान को नया आयाम देते हुए कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में भवानी शंकर मंदिर परिसर में भगवान शिव की विशाल प्रतिमा का भव्य अनावरण किया गया। 54 फुट ऊँची यह प्रतिमा फिलहाल उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊँची शिव प्रतिमा मानी जा रही है और इसे देखकर श्रद्धालु ही नहीं, बल्कि पूरा प्रवासी भारतीय समुदाय गर्व से भर उठा।

समुदाय की भागीदारी और दो साल की मेहनत

प्रतिमा का निर्माण राजस्थान के मूर्तिकार नरेश कुमार कुमावत की देखरेख में पूरा हुआ। उन्होंने बताया कि इस परियोजना में लगभग दो वर्षों की लगातार मेहनत लगी और इसे स्थानीय समुदाय के सहयोग से संभव बनाया गया। इस भव्य स्थापना के पीछे भारतीय मूल के प्रवासी हिंदुओं का सामूहिक योगदान और व्यापक फंडरेज़िंग अभियान रहा।

उद्घाटन समारोह का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

अनावरण समारोह में हजारों भक्त मौजूद रहे। पूरे परिसर में भजन-कीर्तन, वेद मंत्रोच्चारण और पारंपरिक रथ यात्रा ने माहौल को आध्यात्मिक और उत्सवपूर्ण बना दिया। मंदिर प्रबंधन और स्थानीय धार्मिक नेताओं ने इसे कनाडा में हिंदू समुदाय की एकता और आस्था का जीवंत प्रतीक बताया। मंदिर समिति ने कहा कि यह आयोजन केवल धार्मिक महत्व का नहीं है, बल्कि यह ब्रैम्पटन की सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता का भी उत्सव है। स्थानीय नेताओं और राजनेताओं ने भी भाग लिया और इसे “धर्म और संस्कृति के पुल” के रूप में वर्णित किया।

भारतीय विरासत का वैश्विक संदेश

इस प्रतिमा के अनावरण को भारतीय प्रवासी समुदाय ने “ऐतिहासिक क्षण” करार दिया। स्थानीय मीडिया ने इसे कनाडाई हिंदू समाज की दृढ़ता और पहचान का प्रतीक बताया। विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी ऊँचाई और कलात्मकता वाली शिव प्रतिमा कनाडा में न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बनेगी, बल्कि पर्यटकों और शोधकर्ताओं को भी आकर्षित करेगी। प्रतिमा का आध्यात्मिक महत्व भी गहरा है। भगवान शिव, जिन्हें संहार और सृजन दोनों का देवता माना जाता है, इस रूप में प्रवासी भारतीयों के लिए स्थायी प्रेरणा का स्रोत होंगे। यह प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों और परंपराओं से जोड़े रखने का कार्य करेगी।

भविष्य के लिए दृष्टिकोण

भवानी शंकर मंदिर प्रबंधन का कहना है कि इस परियोजना के बाद मंदिर परिसर को और विकसित करने की योजना है—जिसमें सांस्कृतिक केंद्र, पुस्तकालय और सामुदायिक हॉल भी शामिल होंगे। इसका उद्देश्य है कि न केवल धार्मिक आस्था को मज़बूती मिले, बल्कि सांस्कृतिक संवाद और सामाजिक एकजुटता भी बढ़े।

निष्कर्ष

ब्रैम्पटन में भगवान शिव की 54 फुट ऊँची प्रतिमा का यह अनावरण केवल एक मूर्ति की स्थापना नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की वैश्विक उपस्थिति का सशक्त उद्घोष है। यह कार्यक्रम दिखाता है कि प्रवासी भारतीय समुदाय अपनी जड़ों से गहराई से जुड़ा है और अपनी पहचान को दुनिया के सामने सम्मानपूर्वक स्थापित करने में सक्षम है।


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