मंत्र:
ॐ नमो भगवते वाराहरूपाय भूर्भुवः
स्वः स्यात्पते भूपतित्वं देह्यते ददापय स्वाहा।
स्रोत:
शारदातिलक (एक प्रतिष्ठित तंत्र ग्रन्थ)।
फलश्रुति:
इस मंत्र का 100000 बार जप करने से सिद्धि
प्राप्त होती है। इसके पश्चात् दशांश होम करना चाहिए। साधक को अपार धन एवं भूमि
की प्राप्ति होती है और वह जीवन भर समृद्ध रहता है। जब सूर्य सिंह राशि में हो और
शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि हो, तब इस मंत्र का दस हजार जप करने से शत्रु बाधा
का निवारण होता है और न्यायालयीन प्रकरणों में विजय मिलती है। अमलतास की
लकड़ी से तीन सौ आहुतियाँ देने से सर्व संपत्ति एवं स्वर्ण की प्राप्ति होती है।
प्रतिदिन चावलों की एक सौ आठ आहुतियाँ देने से साधक प्रसिद्धि और
लोकप्रियता प्राप्त करता है। 8 दिन तक इस मंत्र की 1008 आहुतियाँ
देने से स्वर्ण की प्राप्ति होती है। शहद और धान से मिश्रित आहुतियाँ
देने से मनोवांछित पत्नी की प्राप्ति होती है। इस मंत्र से भूमि संबंधी विवाद समाप्त
होते हैं और साधक को अपना घर प्राप्त होता है।
विधि:
इस मंत्र का जप ऊर्जित (अभिमंत्रित) मूंगा माला से करना
चाहिए। पीठ पर विष्णु का पूजन भी निर्दिष्ट है।