Pauranik Comments(0) Like(0) 5 Min Read

समुद्र में दिन में दो बार गायब होता है यह शिव मंदिर – जानिए स्तम्भेश्वर महादेव का रहस्य, चमत्कार और पौराणिक कथा

समुद्र में दिन में दो बार गायब होता है यह शिव मंदिर – जानिए स्तम्भेश्वर महादेव का रहस्य, चमत्कार और पौराणिक कथाAI द्वारा विशेष रूप से इस लेख के लिए निर्मित एक चित्र।🔒 चित्र का पूर्ण अधिकार pauranik.org के पास सुरक्षित है।

स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर / गायब मंदिर

स्थान

कावी कंबोई, जंबुसर तहसील, भरूच जिला, गुजरात। यह मंदिर अरब सागर और खंभात की खाड़ी के संगम तट पर स्थित है।

प्रमुख देवता

भगवान शिव (शिवलिंग के रूप में)। यहाँ स्थापित शिवलिंग लगभग 4 फीट ऊँचा है।

Durga Mata Idol

Shri Durga Mata Idol – 4 Inch

Compact Durga idol seated on a lion – ideal for car dashboards, puja corners or gifts.

Amazon Buy on Amazon

संक्षिप्त इतिहास एवं निर्माण

स्थानीय मान्यताओं और कुछ स्रोतों के अनुसार, यह मंदिर लगभग 150 वर्ष पुराना है। हालाँकि, इसका पौराणिक संबंध स्कंद पुराण से जुड़ता है, जिसमें स्तंभेश्वर तीर्थ का उल्लेख मिलता है। यह माना जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं भगवान शिव के पुत्र, देव सेनापति कार्तिकेय ने की थी। मंदिर की संरचना स्तंभों पर आधारित है, जिसके कारण इसे 'स्तम्भेश्वर' नाम मिला।

दिव्य संबंध एवं चमत्कार

समुद्र में अदृश्य होना

इस मंदिर का सबसे बड़ा और विश्व प्रसिद्ध चमत्कार इसका दिन में दो बार समुद्र के जल में विलीन हो जाना और फिर पुनः प्रकट होना है। यह घटना समुद्र में आने वाले उच्च ज्वार और निम्न ज्वार के कारण होती है। उच्च ज्वार के समय, समुद्र का जल स्तर बढ़ता है और मंदिर धीरे-धीरे जलमग्न हो जाता है, केवल शिखर का कुछ भाग ही दिखाई देता है (यदि वह नवीन निर्माण हो)। निम्न ज्वार आने पर जलस्तर घटने के साथ मंदिर पुनः दृष्टिगोचर होने लगता है। भक्तगण इस प्राकृतिक घटना को स्वयं समुद्र देवता द्वारा भगवान शिव का प्रतिदिन दो बार किया जाने वाला अभिषेक मानते हैं। प्रकृति के इस असाधारण और नियमित चमत्कार को देखने के लिए हजारों श्रद्धालु यहाँ आते हैं।

अद्वितीय पौराणिक कथा/रहस्य/परंपरा

कार्तिकेय द्वारा स्थापना

स्कंद पुराण के कुमारिका खंड में वर्णित कथा के अनुसार, राक्षस तारकासुर भगवान शिव का परम भक्त था, परंतु अपनी शक्तियों के अहंकार में वह देवों और मनुष्यों पर अत्याचार करने लगा था। उसे यह वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु केवल शिव-पुत्र द्वारा ही संभव होगी। देवों की प्रार्थना पर, भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया। परंतु, शिवभक्त का वध करने के कारण कार्तिकेय को गहन अपराधबोध हुआ। इस पाप से मुक्ति पाने और प्रायश्चित करने के लिए, भगवान विष्णु के परामर्श पर, कार्तिकेय ने इस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की और तपस्या की। कहा जाता है कि उन्होंने तीन शिवलिंग स्थापित किए थे: प्रतिज्ञेश्वर, कपालेश्वर, और कुमारेश्वर (जिसे स्तंभेश्वर भी माना जाता है)।

अशुभ दृष्टि से बचाव

एक स्थानीय मान्यता यह भी है कि मंदिर से दर्शन करके लौटते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए, अन्यथा कोई अशुभ साया या बुरी आत्माएं पीछा कर सकती हैं।

आध्यात्मिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व

स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर प्रकृति की असीम शक्ति और भगवान शिव की सर्वव्यापक महिमा का एक अनूठा और जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है। मंदिर का प्रतिदिन जलमग्न होना और पुनः प्रकट होना भक्तों को जीवन की क्षणभंगुरता, सृष्टि और प्रलय के शाश्वत चक्र का स्मरण कराता है, जिसके अधिपति स्वयं भगवान शिव हैं। यह स्थल तपस्या, प्रायश्चित और भक्ति की शक्ति का भी प्रतीक है।

अल्पज्ञात तथ्य एवं विशिष्टता

आम तौर पर लोग इसे केवल "गायब होने वाले मंदिर" के रूप में जानते हैं, परंतु इसके पीछे की कार्तिकेय और तारकासुर की पौराणिक कथा तथा स्कंद पुराण का संदर्भ अपेक्षाकृत कम ज्ञात है।

मंदिर के दर्शन का समय ज्वार-भाटे के चक्र पर निर्भर करता है, इसलिए भक्तों को इसके अनुसार ही अपनी यात्रा की योजना बनानी पड़ती है।

प्रामाणिकता के संकेत

स्कंद पुराण में स्तंभेश्वर तीर्थ का स्पष्ट उल्लेख इसकी पौराणिक प्राचीनता का सबसे बड़ा प्रमाण है। ज्वार-भाटे के कारण मंदिर का जलमग्न होना एक प्रत्यक्ष प्राकृतिक घटना है, जिसे प्रतिदिन देखा जा सकता है। स्थानीय लोककथाएं और पीढ़ियों से चली आ रही मान्यताएं भी इसके महत्व को पुष्ट करती हैं।


मंदिरस्तम्भेश्वरमहादेवचमत्कारपौराणिक
Image Gallery
निधिवन वृन्दावन ! जहाँ बंद हो जाती हैं खिड़कियाँ, और रात में गूंजते हैं घुँघरुओं के स्वर! पढ़ें और जानें उस रहस्यलोक को !
Featured Posts

समुद्र में दिन में दो बार गायब होता है यह शिव मंदिर – जानिए स्तम्भेश्वर महादेव का रहस्य, चमत्कार और पौराणिक कथा

समुद्र में दिन में दो बार गायब होता है यह शिव मंदिर – जानिए स्तम्भेश्वर महादेव का रहस्य, चमत्कार और पौराणिक कथाAI द्वारा विशेष रूप से इस लेख के लिए निर्मित चित्र।

स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर / गायब मंदिर

स्थान

कावी कंबोई, जंबुसर तहसील, भरूच जिला, गुजरात। यह मंदिर अरब सागर और खंभात की खाड़ी के संगम तट पर स्थित है।

प्रमुख देवता

भगवान शिव (शिवलिंग के रूप में)। यहाँ स्थापित शिवलिंग लगभग 4 फीट ऊँचा है।

Durga Mata Idol

Shri Durga Mata Idol – 4 Inch

Compact Durga idol seated on a lion – ideal for car dashboards, puja corners or gifts.

Amazon Buy on Amazon

संक्षिप्त इतिहास एवं निर्माण

स्थानीय मान्यताओं और कुछ स्रोतों के अनुसार, यह मंदिर लगभग 150 वर्ष पुराना है। हालाँकि, इसका पौराणिक संबंध स्कंद पुराण से जुड़ता है, जिसमें स्तंभेश्वर तीर्थ का उल्लेख मिलता है। यह माना जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं भगवान शिव के पुत्र, देव सेनापति कार्तिकेय ने की थी। मंदिर की संरचना स्तंभों पर आधारित है, जिसके कारण इसे 'स्तम्भेश्वर' नाम मिला।

दिव्य संबंध एवं चमत्कार

समुद्र में अदृश्य होना

इस मंदिर का सबसे बड़ा और विश्व प्रसिद्ध चमत्कार इसका दिन में दो बार समुद्र के जल में विलीन हो जाना और फिर पुनः प्रकट होना है। यह घटना समुद्र में आने वाले उच्च ज्वार और निम्न ज्वार के कारण होती है। उच्च ज्वार के समय, समुद्र का जल स्तर बढ़ता है और मंदिर धीरे-धीरे जलमग्न हो जाता है, केवल शिखर का कुछ भाग ही दिखाई देता है (यदि वह नवीन निर्माण हो)। निम्न ज्वार आने पर जलस्तर घटने के साथ मंदिर पुनः दृष्टिगोचर होने लगता है। भक्तगण इस प्राकृतिक घटना को स्वयं समुद्र देवता द्वारा भगवान शिव का प्रतिदिन दो बार किया जाने वाला अभिषेक मानते हैं। प्रकृति के इस असाधारण और नियमित चमत्कार को देखने के लिए हजारों श्रद्धालु यहाँ आते हैं।

अद्वितीय पौराणिक कथा/रहस्य/परंपरा

कार्तिकेय द्वारा स्थापना

स्कंद पुराण के कुमारिका खंड में वर्णित कथा के अनुसार, राक्षस तारकासुर भगवान शिव का परम भक्त था, परंतु अपनी शक्तियों के अहंकार में वह देवों और मनुष्यों पर अत्याचार करने लगा था। उसे यह वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु केवल शिव-पुत्र द्वारा ही संभव होगी। देवों की प्रार्थना पर, भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया। परंतु, शिवभक्त का वध करने के कारण कार्तिकेय को गहन अपराधबोध हुआ। इस पाप से मुक्ति पाने और प्रायश्चित करने के लिए, भगवान विष्णु के परामर्श पर, कार्तिकेय ने इस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की और तपस्या की। कहा जाता है कि उन्होंने तीन शिवलिंग स्थापित किए थे: प्रतिज्ञेश्वर, कपालेश्वर, और कुमारेश्वर (जिसे स्तंभेश्वर भी माना जाता है)।

अशुभ दृष्टि से बचाव

एक स्थानीय मान्यता यह भी है कि मंदिर से दर्शन करके लौटते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए, अन्यथा कोई अशुभ साया या बुरी आत्माएं पीछा कर सकती हैं।

आध्यात्मिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व

स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर प्रकृति की असीम शक्ति और भगवान शिव की सर्वव्यापक महिमा का एक अनूठा और जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है। मंदिर का प्रतिदिन जलमग्न होना और पुनः प्रकट होना भक्तों को जीवन की क्षणभंगुरता, सृष्टि और प्रलय के शाश्वत चक्र का स्मरण कराता है, जिसके अधिपति स्वयं भगवान शिव हैं। यह स्थल तपस्या, प्रायश्चित और भक्ति की शक्ति का भी प्रतीक है।

अल्पज्ञात तथ्य एवं विशिष्टता

आम तौर पर लोग इसे केवल "गायब होने वाले मंदिर" के रूप में जानते हैं, परंतु इसके पीछे की कार्तिकेय और तारकासुर की पौराणिक कथा तथा स्कंद पुराण का संदर्भ अपेक्षाकृत कम ज्ञात है।

मंदिर के दर्शन का समय ज्वार-भाटे के चक्र पर निर्भर करता है, इसलिए भक्तों को इसके अनुसार ही अपनी यात्रा की योजना बनानी पड़ती है।

प्रामाणिकता के संकेत

स्कंद पुराण में स्तंभेश्वर तीर्थ का स्पष्ट उल्लेख इसकी पौराणिक प्राचीनता का सबसे बड़ा प्रमाण है। ज्वार-भाटे के कारण मंदिर का जलमग्न होना एक प्रत्यक्ष प्राकृतिक घटना है, जिसे प्रतिदिन देखा जा सकता है। स्थानीय लोककथाएं और पीढ़ियों से चली आ रही मान्यताएं भी इसके महत्व को पुष्ट करती हैं।


मंदिरस्तम्भेश्वरमहादेवचमत्कारपौराणिक
विशेष पोस्ट

निधिवन वृन्दावन ! जहाँ बंद हो जाती हैं खिड़कियाँ, और रात में गूंजते हैं घुँघरुओं के स्वर! पढ़ें और जानें उस रहस्यलोक को !
निधिवन वृन्दावन ! जहाँ बंद हो जाती हैं खिड़कियाँ, और रात में गूंजते हैं घुँघरुओं के स्वर! पढ़ें और जानें उस रहस्यलोक को !

निधिवन वृन्दावन: पढ़ें और जानें उस रहस्यलोक को, जहाँ आज भी राधा-कृष्ण की रासलीला होती है!

निधिवन

महोबा का राहिलिया सूर्य मंदिर – पढ़ें, जानें और अनुभव करें एक भूले हुए चमत्कारी सूर्य तीर्थ की अनसुनी कहानी!
महोबा का राहिलिया सूर्य मंदिर – पढ़ें, जानें और अनुभव करें एक भूले हुए चमत्कारी सूर्य तीर्थ की अनसुनी कहानी!

जहाँ सूर्य की किरणें आज भी इतिहास, रहस्य और आस्था के खंडहरों को आलोकित करती हैं

मंदिर

श्रृंगेरी का विद्याशंकर मंदिर!  जहाँ पत्थर भी शिव के गीत गाते हैं!? पढ़ें और जानें इसके चमत्कारिक रहस्य!
श्रृंगेरी का विद्याशंकर मंदिर! जहाँ पत्थर भी शिव के गीत गाते हैं!? पढ़ें और जानें इसके चमत्कारिक रहस्य!

विद्याशंकर मंदिर श्रृंगेरी – शिव, विज्ञान और रहस्य का अद्भुत संगम

मंदिर

एक ही स्थान पर ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ – जानिए श्री मल्लिकार्जुन मंदिर की अद्भुत कथा और चमत्कार !
एक ही स्थान पर ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ – जानिए श्री मल्लिकार्जुन मंदिर की अद्भुत कथा और चमत्कार !

एक ही स्थान पर ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ – जानिए श्री मल्लिकार्जुन मंदिर की अद्भुत कथा और चमत्कार

ज्योतिर्लिंग

हरिहर के अद्वितीय स्वरूप का धाम – जानिए लिंगराज मंदिर का रहस्य, इतिहास और चमत्कार
हरिहर के अद्वितीय स्वरूप का धाम – जानिए लिंगराज मंदिर का रहस्य, इतिहास और चमत्कार

हरिहर के अद्वितीय स्वरूप का धाम – जानिए लिंगराज मंदिर का रहस्य, इतिहास और चमत्कार

हरिहर

गुलाबी नगरी का रहस्यमयी शिव मंदिर – जानिए गुलाबेश्वर महादेव और बाबा बोलता राम की चमत्कारी कथा
गुलाबी नगरी का रहस्यमयी शिव मंदिर – जानिए गुलाबेश्वर महादेव और बाबा बोलता राम की चमत्कारी कथा

गुलाबी नगरी का रहस्यमयी शिव मंदिर – जानिए गुलाबेश्वर महादेव और बाबा बोलता राम की चमत्कारी कथा

मंदिर

जहाँ भगवान शिव बने भक्त के सेवक – जानिए उगना महादेव मंदिर और विद्यापति की अद्भुत भक्ति कथा !
जहाँ भगवान शिव बने भक्त के सेवक – जानिए उगना महादेव मंदिर और विद्यापति की अद्भुत भक्ति कथा !

जहाँ भगवान शिव बने भक्त के सेवक – जानिए उगना महादेव मंदिर और विद्यापति की अद्भुत भक्ति कथा

मंदिर

भुवनेश्वर का रहस्यमयी तांत्रिक मंदिर – जानिए वेताल देउल (चामुंडा शक्तिपीठ) की अलौकिक कथा और चमत्कार !
भुवनेश्वर का रहस्यमयी तांत्रिक मंदिर – जानिए वेताल देउल (चामुंडा शक्तिपीठ) की अलौकिक कथा और चमत्कार !

भुवनेश्वर का रहस्यमयी तांत्रिक मंदिर – जानिए वेताल देउल (चामुंडा शक्तिपीठ) की अलौकिक कथा और चमत्कार

चामुंडा

बाबा बैद्यनाथ धाम: शिव शक्ति के पावन मिलन स्थल की पौराणिक महिमा, पूजन विधि, भक्ति परंपराएँ और आध्यात्मिक रहस्य !
बाबा बैद्यनाथ धाम: शिव शक्ति के पावन मिलन स्थल की पौराणिक महिमा, पूजन विधि, भक्ति परंपराएँ और आध्यात्मिक रहस्य !

शिव शक्ति के पावन मिलन स्थल की पौराणिक महिमा, पूजन विधि, भक्ति परंपराएँ और आध्यात्मिक रहस्य

बैद्यनाथ

ऐसे और लेख