श्लोक: “विष्णु: शक्तित्रीणि च प्रोक्ता परा, अपरा च जीवशक्ति।” (विष्णु पुराण)
भगवान की तीन शक्तियाँ हैं:
मायाशक्ति भगवान की वह शक्ति है जो जीवों को उनके कर्मों और इच्छाओं के अधीन कर देती है। यह जीवों को संसार में फंसा कर उनके लिए माया के जाल का निर्माण करती है।
शास्त्रों का उल्लेख:
“दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया। मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते॥” (श्रीमद्भगवद्गीता 7.14)
अर्थ: मेरी यह मायाशक्ति त्रिगुणमयी (सत्व, रज, तम) है, जिसे पार करना कठिन है। लेकिन जो मेरे शरणागत हो जाते हैं, वे इसे पार कर सकते हैं।
योगमाया भगवान की व्यक्तिगत शक्ति है, जो उनकी चमत्कारी लीलाओं और असंभव कार्यों को संभव बनाती है।
श्लोक:
“योगमाया समाविष्टो यः सत्यव्रत मनुव्रज। आविर्बभूव भगवान् सृष्टि हेतु: सनातन:॥” (भागवत पुराण 10.1.22)
अर्थ: योगमाया की शक्ति से भगवान स्वयं प्रकट होते हैं और सृष्टि के निर्माण, पालन और संहार का कार्य करते हैं।
“बिनु पग चलइ, सुनइ बिनु काना। कर बिनु कर्म करइ विधि नाना॥” (रामचरितमानस)
अर्थ: भगवान बिना पैरों के चल सकते हैं, बिना कानों के सुन सकते हैं और बिना हाथों के कर्म कर सकते हैं।
भगवान की शक्तियाँ उनके ममतामयी और करुणामय स्वरूप की परिचायक हैं। वे हर समय जीव के साथ रहते हैं और उन्हें सही मार्ग पर ले जाने का प्रयास करते हैं।
श्लोक:
“सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो। मत्त: स्मृतिर्ज्ञानमपोहनं च॥” (श्रीमद्भगवद्गीता 15.15)
अर्थ: मैं हर जीव के हृदय में स्थित हूँ। मुझसे ही स्मरण, ज्ञान और विस्मरण उत्पन्न होता है।
मायाशक्ति से मुक्त होना सरल नहीं है, लेकिन भगवान की कृपा से यह संभव है।
श्लोक:
“मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम्। नाप्नुवन्ति महात्मान: संसिद्धिं परमां गताः॥” (श्रीमद्भगवद्गीता 8.15)
अर्थ: जो महात्मा मेरी शरण में आते हैं, वे पुनर्जन्म से मुक्त होकर परम सिद्धि को प्राप्त करते हैं।
भगवान की शक्तियाँ उनकी कृपा और प्रेम का प्रतीक हैं। जो व्यक्ति भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण करता है, वह मायाशक्ति के बंधन से मुक्त होकर सच्चे आनंद का अनुभव करता है।
मंत्र:
“ओम् नमो भगवते वासुदेवाय।।”
इस मंत्र का निरंतर जाप करने से माया के बंधन कमजोर होते हैं और व्यक्ति भगवान की शरण में जाता है।
भगवान की शक्तियाँ - पराशक्ति, मायाशक्ति, और योगमाया - सृष्टि की दिव्यता और अद्भुतता को दर्शाती हैं। भगवान की माया हमें भटकाती है, लेकिन योगमाया के माध्यम से वे हमें सत्य का मार्ग दिखाते हैं।
भगवान की कृपा से हमें अपनी आत्मा का सत्य स्वरूप पहचानने का अवसर मिलता है और मायाशक्ति के बंधनों से मुक्ति मिलती है। हमें भगवान की शक्तियों का आदर और उनकी भक्ति करते
श्लोक: “विष्णु: शक्तित्रीणि च प्रोक्ता परा, अपरा च जीवशक्ति।” (विष्णु पुराण)
भगवान की तीन शक्तियाँ हैं:
मायाशक्ति भगवान की वह शक्ति है जो जीवों को उनके कर्मों और इच्छाओं के अधीन कर देती है। यह जीवों को संसार में फंसा कर उनके लिए माया के जाल का निर्माण करती है।
शास्त्रों का उल्लेख:
“दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया। मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते॥” (श्रीमद्भगवद्गीता 7.14)
अर्थ: मेरी यह मायाशक्ति त्रिगुणमयी (सत्व, रज, तम) है, जिसे पार करना कठिन है। लेकिन जो मेरे शरणागत हो जाते हैं, वे इसे पार कर सकते हैं।
योगमाया भगवान की व्यक्तिगत शक्ति है, जो उनकी चमत्कारी लीलाओं और असंभव कार्यों को संभव बनाती है।
श्लोक:
“योगमाया समाविष्टो यः सत्यव्रत मनुव्रज। आविर्बभूव भगवान् सृष्टि हेतु: सनातन:॥” (भागवत पुराण 10.1.22)
अर्थ: योगमाया की शक्ति से भगवान स्वयं प्रकट होते हैं और सृष्टि के निर्माण, पालन और संहार का कार्य करते हैं।
“बिनु पग चलइ, सुनइ बिनु काना। कर बिनु कर्म करइ विधि नाना॥” (रामचरितमानस)
अर्थ: भगवान बिना पैरों के चल सकते हैं, बिना कानों के सुन सकते हैं और बिना हाथों के कर्म कर सकते हैं।
भगवान की शक्तियाँ उनके ममतामयी और करुणामय स्वरूप की परिचायक हैं। वे हर समय जीव के साथ रहते हैं और उन्हें सही मार्ग पर ले जाने का प्रयास करते हैं।
श्लोक:
“सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो। मत्त: स्मृतिर्ज्ञानमपोहनं च॥” (श्रीमद्भगवद्गीता 15.15)
अर्थ: मैं हर जीव के हृदय में स्थित हूँ। मुझसे ही स्मरण, ज्ञान और विस्मरण उत्पन्न होता है।
मायाशक्ति से मुक्त होना सरल नहीं है, लेकिन भगवान की कृपा से यह संभव है।
श्लोक:
“मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम्। नाप्नुवन्ति महात्मान: संसिद्धिं परमां गताः॥” (श्रीमद्भगवद्गीता 8.15)
अर्थ: जो महात्मा मेरी शरण में आते हैं, वे पुनर्जन्म से मुक्त होकर परम सिद्धि को प्राप्त करते हैं।
भगवान की शक्तियाँ उनकी कृपा और प्रेम का प्रतीक हैं। जो व्यक्ति भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण करता है, वह मायाशक्ति के बंधन से मुक्त होकर सच्चे आनंद का अनुभव करता है।
मंत्र:
“ओम् नमो भगवते वासुदेवाय।।”
इस मंत्र का निरंतर जाप करने से माया के बंधन कमजोर होते हैं और व्यक्ति भगवान की शरण में जाता है।
भगवान की शक्तियाँ - पराशक्ति, मायाशक्ति, और योगमाया - सृष्टि की दिव्यता और अद्भुतता को दर्शाती हैं। भगवान की माया हमें भटकाती है, लेकिन योगमाया के माध्यम से वे हमें सत्य का मार्ग दिखाते हैं।
भगवान की कृपा से हमें अपनी आत्मा का सत्य स्वरूप पहचानने का अवसर मिलता है और मायाशक्ति के बंधनों से मुक्ति मिलती है। हमें भगवान की शक्तियों का आदर और उनकी भक्ति करते