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पढ़िए भगवान श्री हरि की वह स्तुति, जिसे स्वयं भगवान शिव और ब्रह्मा जी ने गाया है !

पढ़िए भगवान श्री हरि की वह स्तुति, जिसे स्वयं भगवान शिव और ब्रह्मा जी ने गाया है !AI द्वारा विशेष रूप से इस लेख के लिए निर्मित एक चित्र।🔒 चित्र का पूर्ण अधिकार pauranik.org के पास सुरक्षित है।

जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता।।
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई।
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई।।

हे देवताओं के स्वामी, सेवकों को सुख देने वाले, शरणागतों की रक्षा करने वाले भगवान! आपकी बार-बार जय हो! हे गौ और ब्राह्मणों का हित करने वाले, असुरों का नाश करने वाले, समुद्र की पुत्री लक्ष्मी के प्रिय पति! आपकी जय हो! हे देवताओं और पृथ्वी का पालन करने वाले! आपकी लीला अद्भुत है, उसका रहस्य कोई नहीं जानता। जो स्वभाव से ही कृपालु और दीनों पर दया करने वाले हैं, वे ही हम पर कृपा करें।

जय जय अविनासी सब घट बासी व्यापक परमानंदा।
अबिगत गोतीत अचरित पुनीत माया रहित मुकुंदा।।
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगत मोह मुनिबृंदा।
निसि बासर ध्यावहिं गुन गन गावहिं जयति सच्चिदानंदा।।

हे अविनाशी, सबके हृदय में निवास करने वाले (अन्तर्यामी), सर्वव्यापक, परमानंद स्वरूप, अगम्य, इन्द्रियों से परे, पवित्र चरित्र, माया से रहित, मोक्षदाता (मुकुंद)! आपकी बार-बार जय हो! जिन (भगवान) को पाने के लिए विरक्त और मोह से छूटे हुए मुनियों का समूह भी अत्यंत प्रेम से रात-दिन ध्यान करता है और जिनके गुणों का समूह गान करता है, उन सच्चिदानंद की जय हो!

जेहिं सृष्टि उपाई बिबिध बनाई संग सहाय न दूजा।
सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिअ भगति न पूजा।।
जो भव भय भंजन, मुनि मन रंजन, गंजन विपति बरुथा।
मन बच क्रम बानी छाड़ि सयानी सरन सकल सुरजूथा।।

जिन्होंने इस अनेक प्रकार की सृष्टि को बिना किसी दूसरे संगी अथवा सहायक के अकेले ही बनाया है वे पापों का नाश करने वाले भगवान हमारी सुधि लें (हमारी चिंता करें)। हम न (बाह्य) भक्ति (के आडंबर) जानते हैं, न विधि-विधान से पूजा करना जानते हैं। जो संसार के जन्म-मृत्यु के भय का नाश करने वाले, मुनियों के मन को आनंदित करने वाले और विपत्तियों के समूह को नष्ट करने वाले हैं, उन भगवान् की शरण में मन, वचन, कर्म और वाणी की चतुराई छोड़कर सभी देवताओं के समूह आये है।

सारद श्रुति सेष रिषय असेषा जा कोउ नहिं जाना।
जेहि दीन पिआरे, बेद पुकारे, द्रबउ सो श्री भगवाना।
भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर गुन मंदिर सुख पुंजा।
मुनि सिद्ध सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कंजा।।

सरस्वती, वेद, शेषजी और समस्त ऋषि-मुनि भी जिनको पूरी तरह नहीं जान पाते,जिनका दर्शन पाना अत्यंत दुर्लभ है, ऐसा वेद पुकारकर कहते हैं,वे ही श्रीभगवान हम पर दया करें। हे संसार रूपी समुद्र के मंथन के लिए मंदराचल स्वरूप, सभी प्रकार से सुंदर, गुणों के धाम, और सुखों के भंडार नाथ, आपके चरण कमलों में मुनि, योगी, और समस्त देवता भय से अति व्याकुल होकर सदा नमस्कार करते हैं।


श्रीहरिभगवानशिवब्रह्मात्रिदेवभक्ति
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पढ़ें: भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण और भक्त प्रह्लाद के बीच क्यों हुआ था वो भीषण युद्ध?
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पढ़िए भगवान श्री हरि की वह स्तुति, जिसे स्वयं भगवान शिव और ब्रह्मा जी ने गाया है !AI द्वारा विशेष रूप से इस लेख के लिए निर्मित चित्र।

जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता।।
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई।
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई।।

हे देवताओं के स्वामी, सेवकों को सुख देने वाले, शरणागतों की रक्षा करने वाले भगवान! आपकी बार-बार जय हो! हे गौ और ब्राह्मणों का हित करने वाले, असुरों का नाश करने वाले, समुद्र की पुत्री लक्ष्मी के प्रिय पति! आपकी जय हो! हे देवताओं और पृथ्वी का पालन करने वाले! आपकी लीला अद्भुत है, उसका रहस्य कोई नहीं जानता। जो स्वभाव से ही कृपालु और दीनों पर दया करने वाले हैं, वे ही हम पर कृपा करें।

जय जय अविनासी सब घट बासी व्यापक परमानंदा।
अबिगत गोतीत अचरित पुनीत माया रहित मुकुंदा।।
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगत मोह मुनिबृंदा।
निसि बासर ध्यावहिं गुन गन गावहिं जयति सच्चिदानंदा।।

हे अविनाशी, सबके हृदय में निवास करने वाले (अन्तर्यामी), सर्वव्यापक, परमानंद स्वरूप, अगम्य, इन्द्रियों से परे, पवित्र चरित्र, माया से रहित, मोक्षदाता (मुकुंद)! आपकी बार-बार जय हो! जिन (भगवान) को पाने के लिए विरक्त और मोह से छूटे हुए मुनियों का समूह भी अत्यंत प्रेम से रात-दिन ध्यान करता है और जिनके गुणों का समूह गान करता है, उन सच्चिदानंद की जय हो!

जेहिं सृष्टि उपाई बिबिध बनाई संग सहाय न दूजा।
सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिअ भगति न पूजा।।
जो भव भय भंजन, मुनि मन रंजन, गंजन विपति बरुथा।
मन बच क्रम बानी छाड़ि सयानी सरन सकल सुरजूथा।।

जिन्होंने इस अनेक प्रकार की सृष्टि को बिना किसी दूसरे संगी अथवा सहायक के अकेले ही बनाया है वे पापों का नाश करने वाले भगवान हमारी सुधि लें (हमारी चिंता करें)। हम न (बाह्य) भक्ति (के आडंबर) जानते हैं, न विधि-विधान से पूजा करना जानते हैं। जो संसार के जन्म-मृत्यु के भय का नाश करने वाले, मुनियों के मन को आनंदित करने वाले और विपत्तियों के समूह को नष्ट करने वाले हैं, उन भगवान् की शरण में मन, वचन, कर्म और वाणी की चतुराई छोड़कर सभी देवताओं के समूह आये है।

सारद श्रुति सेष रिषय असेषा जा कोउ नहिं जाना।
जेहि दीन पिआरे, बेद पुकारे, द्रबउ सो श्री भगवाना।
भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर गुन मंदिर सुख पुंजा।
मुनि सिद्ध सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कंजा।।

सरस्वती, वेद, शेषजी और समस्त ऋषि-मुनि भी जिनको पूरी तरह नहीं जान पाते,जिनका दर्शन पाना अत्यंत दुर्लभ है, ऐसा वेद पुकारकर कहते हैं,वे ही श्रीभगवान हम पर दया करें। हे संसार रूपी समुद्र के मंथन के लिए मंदराचल स्वरूप, सभी प्रकार से सुंदर, गुणों के धाम, और सुखों के भंडार नाथ, आपके चरण कमलों में मुनि, योगी, और समस्त देवता भय से अति व्याकुल होकर सदा नमस्कार करते हैं।


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88 साल पाप, एक 'नारायण' पुकार और खाली हाथ लौटे यमदूत! जानें अजामिल की अद्भुत कथा
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नारायण

जब असुरों ने चुराया ज्ञान का भंडार (वेद), तब विष्णु बने हयग्रीव! पढ़ें पूरी कथा !
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यह उप-शीर्षक सीधे उस संकट को उजागर करता है जिसके कारण भगवान विष्णु को हयग्रीव अवतार लेना पड़ा, और यह आपके लेख के एक महत्वपूर्ण खंड का परिचय दे सकता है।

विष्णु

पढ़िए भगवान विष्णु के यज्ञ अवतार की कथा – जब स्वयं हरि ने संभाला इंद्र का पद !
पढ़िए भगवान विष्णु के यज्ञ अवतार की कथा – जब स्वयं हरि ने संभाला इंद्र का पद !

भगवान यज्ञ: धर्म की स्थापना और यज्ञस्वरूप विष्णु के अवतार की पूर्ण कथा

भगवान

पढ़िए – कौन थे भगवान दत्तात्रेय और ऐसा क्या हुआ कि खुद ब्रह्मा, विष्णु और महेश को एक साथ अवतार लेना पड़ा?
पढ़िए – कौन थे भगवान दत्तात्रेय और ऐसा क्या हुआ कि खुद ब्रह्मा, विष्णु और महेश को एक साथ अवतार लेना पड़ा?

जब त्रिदेवों ने एक साथ अवतार लेकर पृथ्वी को आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया — वही दिव्य स्वरूप हैं भगवान दत्तात्रेय।

विष्णु

जानिए कपिल मुनि का दिव्य अवतार – जब भगवान विष्णु ने संसार को सिखाया आत्मज्ञान और भक्तियोग का संगम !
जानिए कपिल मुनि का दिव्य अवतार – जब भगवान विष्णु ने संसार को सिखाया आत्मज्ञान और भक्तियोग का संगम !

भगवान कपिल ने न केवल अपनी माता को मोक्ष का मार्ग दिखाया, बल्कि पूरे संसार को बताया कि सच्चा ज्ञान तभी पूर्ण होता है जब उसमें भक्ति और आत्मसंयम का प्रकाश जुड़ जाए।

भगवान

क्या आप जानते हैं? भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन असल में नर-नारायण के पुनर्जन्म हैं – पढ़िए कौन थे नर-नारायण, जिनकी तपस्या से आज भी बद्रीनाथ धाम आलोकित होता है !
क्या आप जानते हैं? भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन असल में नर-नारायण के पुनर्जन्म हैं – पढ़िए कौन थे नर-नारायण, जिनकी तपस्या से आज भी बद्रीनाथ धाम आलोकित होता है !

नर-नारायण: एक दिव्य युगल अवतार, जहाँ परमात्मा स्वयं मानव बनकर धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश के लिए सहस्रों वर्षों तक तपस्यारत रहे।

नारायण

नारद मुनि: जानिए भगवान विष्णु के इस अद्भुत भक्त-अवतार की कथा, जन्म रहस्य, दिव्य लीलाएँ और भक्ति में उनका अमर योगदान !
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कैसे नारद मुनि बने त्रिलोक में भक्ति के अग्रदूत — जानिए उनके पूर्वजन्म की कथा, श्रीहरि से प्राप्त वरदान, और युगों तक चलने वाली लीला का रहस्य

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जानिए चार कुमारों की दिव्य कथा: भगवान विष्णु के ज्ञानमय बाल अवतारों की लीलाएँ और शास्त्रों में उल्लेख !
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"कैसे ब्रह्मा के मानसपुत्र चार कुमार बने सनातन धर्म के अद्वितीय ज्ञानयोगी, जिनकी भक्ति ने स्वयं भगवान विष्णु को प्रकट होने पर विवश कर दिया

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आदिपुरुष: जानिए भगवान विष्णु के इस रहस्यमय प्रथम अवतार की उत्पत्ति, लीलाएँ और आध्यात्मिक महत्त्व!
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जब कुछ भी नहीं था, तब केवल वही थे – जानिए कैसे आदिपुरुष के रूप में भगवान विष्णु ने सृष्टि का आरंभ किया और वेदों का प्रकाश किया।

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