Pauranik Comments(0) Like(0) 5 Min Read

श्रीकृष्ण के ये 3 रहस्यमय मंत्र जो गोपाल तापनी उपनिषद् में छिपे हैं – क्या आप जानते हैं?

श्रीकृष्ण के ये 3 रहस्यमय मंत्र जो गोपाल तापनी उपनिषद् में छिपे हैं – क्या आप जानते हैं?AI द्वारा विशेष रूप से इस लेख के लिए निर्मित एक चित्र।🔒 चित्र का पूर्ण अधिकार pauranik.org के पास सुरक्षित है।

कृष्णावतार

भगवान् श्रीकृष्ण, विष्णु के पूर्णावतार माने जाते हैं। उनकी लीलाएँ, उपदेश (विशेषतः श्रीमद्भगवद्गीता) और विभिन्न स्वरूपों की उपासना अत्यंत लोकप्रिय है। यहाँ कुछ अल्पज्ञात कृष्ण मंत्र प्रस्तुत हैं:

अ. गोपाल तापनी उपनिषद् के कृष्ण मंत्र:

गोपाल तापनी उपनिषद् कृष्णोपासना का एक महत्वपूर्ण एवं प्राचीनतम स्रोत है। इसमें वर्णित मंत्र न केवल भक्ति प्रधान हैं बल्कि बीज मंत्रों के रहस्य और दार्शनिक गहराई को भी समाहित करते हैं। 'क्लीं' बीज का प्रयोग इन मंत्रों को विशेष तांत्रिक शक्ति भी प्रदान करता है, जो सृष्टि की मूल शक्तियों को जागृत करने की क्षमता रखता है। "गोपीजनवल्लभ" जैसे विशेषण कृष्ण के मधुर और प्रेममय स्वरूप को इंगित करते हैं, जो भक्ति मार्ग के साधकों के लिए विशेष रूप से आकर्षक है।

मंत्र १:

क्लीं कृष्णाय नमः।

स्रोत: गोपाल तापनी उपनिषद्।

देवता: भगवान् श्रीकृष्ण।

अर्थ/फलश्रुति: 'क्लीं' कामबीज है। उपनिषद् के अनुसार, 'क' से कृष्ण, 'ल' से जीवन (या जल), 'ई' से शक्ति (या स्त्री), और बिंदु (अनुस्वार 'ं') से प्रेम या चंद्र। इस प्रकार, यह बीजमंत्र कृष्ण के विभिन्न पहलुओं को समाहित करता है। कृष्ण का एक अर्थ पापों का आकर्षण (नाश) करने वाला भी है। अतः यह मंत्र पाप-नाशक एवं कृष्ण-प्रीति वर्धक है।

विधि: ध्यान एवं भक्तिपूर्वक जप।

मंत्र २:

क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।

स्रोत: गोपाल तापनी उपनिषद्।

देवता: भगवान् श्रीकृष्ण।

अर्थ/फलश्रुति: शीघ्र परम तत्व की प्राप्ति, अंतःकरण शुद्धि, ज्ञान प्राप्ति। 'गोविन्द' का अर्थ है गायों, भूमि और वेदों के पालक, या इंद्रियों के ज्ञाता। 'गोपीजनवल्लभ' गोपियों के प्रियतम का द्योतक है। 'स्वाहा' समर्पण का प्रतीक है।

विधि: वैखरी वाणी से, लंबा खींचकर जप (जैसे "क्लीं ऽऽऽऽऽम कृष्णाऽऽऽऽऽऽयऽ...")। मंत्र के अर्थ का भाव करना, अर्थात उसे बार-बार चित्त में स्थापित करना।

मंत्र ३:

ॐ नमो विश्वस्वरूपाय विश्वस्थित्यन्तहेतवे। विश्वेश्वराय विश्वाय गोविन्दाय नमोनमः॥

स्रोत: गोपाल तापनी उपनिषद्।

देवता: भगवान् श्रीकृष्ण (विश्वरूप)।

अर्थ/फलश्रुति: यह मंत्र भगवान् कृष्ण को उनके विश्वरूप और परमेश्वर स्वरूप में नमस्कार करता है। 'विश्वस्थित्यन्तहेतवे' का अर्थ है विश्व की स्थिति (पालन) और अंत (प्रलय) के कारण। यह मंत्र वेदान्त के इस सिद्धांत को पुष्ट करता है कि परमात्मा ही जगत का अभिन्न निमित्तोपादान कारण है।

विधि: भक्ति एवं समर्पण पूर्वक जप।


कृष्णगोपालमंत्रतापनीउपनिषदबीज
Image Gallery
ವಾಮನಾವತಾರದ ಸಿದ್ಧ ಮಂತ್ರಗಳು – ಸಣ್ಣ ರೂಪದಲ್ಲಿ ಅಪಾರ ಶಕ್ತಿಯನ್ನು ನೀಡುವ ದುರ್ಲಭ ವೈದಿಕ ಸ್ತೋತ್ರಗಳು
Featured Posts

श्रीकृष्ण के ये 3 रहस्यमय मंत्र जो गोपाल तापनी उपनिषद् में छिपे हैं – क्या आप जानते हैं?

श्रीकृष्ण के ये 3 रहस्यमय मंत्र जो गोपाल तापनी उपनिषद् में छिपे हैं – क्या आप जानते हैं?AI द्वारा विशेष रूप से इस लेख के लिए निर्मित चित्र।

कृष्णावतार

भगवान् श्रीकृष्ण, विष्णु के पूर्णावतार माने जाते हैं। उनकी लीलाएँ, उपदेश (विशेषतः श्रीमद्भगवद्गीता) और विभिन्न स्वरूपों की उपासना अत्यंत लोकप्रिय है। यहाँ कुछ अल्पज्ञात कृष्ण मंत्र प्रस्तुत हैं:

अ. गोपाल तापनी उपनिषद् के कृष्ण मंत्र:

गोपाल तापनी उपनिषद् कृष्णोपासना का एक महत्वपूर्ण एवं प्राचीनतम स्रोत है। इसमें वर्णित मंत्र न केवल भक्ति प्रधान हैं बल्कि बीज मंत्रों के रहस्य और दार्शनिक गहराई को भी समाहित करते हैं। 'क्लीं' बीज का प्रयोग इन मंत्रों को विशेष तांत्रिक शक्ति भी प्रदान करता है, जो सृष्टि की मूल शक्तियों को जागृत करने की क्षमता रखता है। "गोपीजनवल्लभ" जैसे विशेषण कृष्ण के मधुर और प्रेममय स्वरूप को इंगित करते हैं, जो भक्ति मार्ग के साधकों के लिए विशेष रूप से आकर्षक है।

मंत्र १:

क्लीं कृष्णाय नमः।

स्रोत: गोपाल तापनी उपनिषद्।

देवता: भगवान् श्रीकृष्ण।

अर्थ/फलश्रुति: 'क्लीं' कामबीज है। उपनिषद् के अनुसार, 'क' से कृष्ण, 'ल' से जीवन (या जल), 'ई' से शक्ति (या स्त्री), और बिंदु (अनुस्वार 'ं') से प्रेम या चंद्र। इस प्रकार, यह बीजमंत्र कृष्ण के विभिन्न पहलुओं को समाहित करता है। कृष्ण का एक अर्थ पापों का आकर्षण (नाश) करने वाला भी है। अतः यह मंत्र पाप-नाशक एवं कृष्ण-प्रीति वर्धक है।

विधि: ध्यान एवं भक्तिपूर्वक जप।

मंत्र २:

क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।

स्रोत: गोपाल तापनी उपनिषद्।

देवता: भगवान् श्रीकृष्ण।

अर्थ/फलश्रुति: शीघ्र परम तत्व की प्राप्ति, अंतःकरण शुद्धि, ज्ञान प्राप्ति। 'गोविन्द' का अर्थ है गायों, भूमि और वेदों के पालक, या इंद्रियों के ज्ञाता। 'गोपीजनवल्लभ' गोपियों के प्रियतम का द्योतक है। 'स्वाहा' समर्पण का प्रतीक है।

विधि: वैखरी वाणी से, लंबा खींचकर जप (जैसे "क्लीं ऽऽऽऽऽम कृष्णाऽऽऽऽऽऽयऽ...")। मंत्र के अर्थ का भाव करना, अर्थात उसे बार-बार चित्त में स्थापित करना।

मंत्र ३:

ॐ नमो विश्वस्वरूपाय विश्वस्थित्यन्तहेतवे। विश्वेश्वराय विश्वाय गोविन्दाय नमोनमः॥

स्रोत: गोपाल तापनी उपनिषद्।

देवता: भगवान् श्रीकृष्ण (विश्वरूप)।

अर्थ/फलश्रुति: यह मंत्र भगवान् कृष्ण को उनके विश्वरूप और परमेश्वर स्वरूप में नमस्कार करता है। 'विश्वस्थित्यन्तहेतवे' का अर्थ है विश्व की स्थिति (पालन) और अंत (प्रलय) के कारण। यह मंत्र वेदान्त के इस सिद्धांत को पुष्ट करता है कि परमात्मा ही जगत का अभिन्न निमित्तोपादान कारण है।

विधि: भक्ति एवं समर्पण पूर्वक जप।


कृष्णगोपालमंत्रतापनीउपनिषदबीज
विशेष पोस्ट

ವಾಮನಾವತಾರದ ಸಿದ್ಧ ಮಂತ್ರಗಳು – ಸಣ್ಣ ರೂಪದಲ್ಲಿ ಅಪಾರ ಶಕ್ತಿಯನ್ನು ನೀಡುವ ದುರ್ಲಭ ವೈದಿಕ ಸ್ತೋತ್ರಗಳು
ವಾಮನಾವತಾರದ ಸಿದ್ಧ ಮಂತ್ರಗಳು – ಸಣ್ಣ ರೂಪದಲ್ಲಿ ಅಪಾರ ಶಕ್ತಿಯನ್ನು ನೀಡುವ ದುರ್ಲಭ ವೈದಿಕ ಸ್ತೋತ್ರಗಳು

ಭಗವಾನ್ ವಾಮನರ ಪೂಜೆ, ಅರ್ಘ್ಯ, ಗಾಯತ್ರಿ ಮತ್ತು ಮೂಲ ಮಂತ್ರಗಳು ತ್ರಿಲೋಕ-ವಿಜಯಿ ಸಂಕಲ್ಪಶಕ್ತಿ, ಅಡೆತಡೆ ನಿವಾರಣೆ ಮತ್ತು ಮಾನಸಿಕ ಶಾಂತಿಗಾಗಿ ಅತ್ಯಂತ ಪ್ರಭಾವಶಾಲಿ ಎಂದು ಪರಿಗಣಿಸಲಾಗಿದೆ – ಸರಿಯಾದ ವಿಧಿ ಮತ್ತು ಫಲವನ್ನು ತಿಳಿಯಿರಿ.

ಭಗವಾನ್

ಭಗವಾನ್ ಪರಶುರಾಮರ ಸಿದ್ಧ ಮಂತ್ರಗಳು – ಶತ್ರು ನಾಶ, ವೀರತ್ವ, ಆತ್ಮಬಲ ಮತ್ತು ಶೌರ್ಯದ ಸಿದ್ಧಿಯನ್ನು ನೀಡುತ್ತವೆ — ವಿಧಿಪೂರ್ವಕ ಜಪ ಮತ್ತು ಫಲ ತಿಳಿಯಿರಿ.
ಭಗವಾನ್ ಪರಶುರಾಮರ ಸಿದ್ಧ ಮಂತ್ರಗಳು – ಶತ್ರು ನಾಶ, ವೀರತ್ವ, ಆತ್ಮಬಲ ಮತ್ತು ಶೌರ್ಯದ ಸಿದ್ಧಿಯನ್ನು ನೀಡುತ್ತವೆ — ವಿಧಿಪೂರ್ವಕ ಜಪ ಮತ್ತು ಫಲ ತಿಳಿಯಿರಿ.

ಓಂ ಜಾಮದಗ್ನ್ಯಾಯ ವಿದ್ಮಹೇ... ಇಂದ ಬೀಜ ಮಂತ್ರಗಳವರೆಗೆ, ಪರಶುರಾಮ ಮಂತ್ರಗಳು ಅನ್ಯಾಯದ ವಿರುದ್ಧ ಶಕ್ತಿ, ಆತ್ಮವಿಶ್ವಾಸ, ಮತ್ತು ಶೌರ್ಯದ ಸಿದ್ಧಿಯನ್ನು ನೀಡುತ್ತವೆ — ವಿಧಿಪೂರ್ವಕ ಜಪ ಮತ್ತು ಫಲ ತಿಳಿಯಿರಿ.

ಪರಶುರಾಮ

भगवान परशुराम के सिद्ध मंत्र – शत्रु नाश, वीरता और आत्मबल और शौर्य की सिद्धि प्रदान करते हैं — जानिए विधिपूर्वक जप और फल।
भगवान परशुराम के सिद्ध मंत्र – शत्रु नाश, वीरता और आत्मबल और शौर्य की सिद्धि प्रदान करते हैं — जानिए विधिपूर्वक जप और फल।

ॐ जामदग्न्याय विद्महे... से लेकर बीज मंत्रों तक, परशुराम मंत्र अन्याय के विरुद्ध शक्ति, आत्मविश्वास, और शौर्य की सिद्धि प्रदान करते हैं — जानिए विधिपूर्वक जप और फल।

परशुराम

वामनावतार के सिद्ध मंत्र – छोटे रूप में अपार शक्ति देने वाले दुर्लभ वैदिक स्तोत्र
वामनावतार के सिद्ध मंत्र – छोटे रूप में अपार शक्ति देने वाले दुर्लभ वैदिक स्तोत्र

भगवान वामन का पूजन, अर्घ्य, गायत्री और मूल मंत्र त्रिलोक-विजयी संकल्पशक्ति, बाधा निवारण और मानसिक शांति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माने गए हैं – जानिए सही विधि और फल।

भगवान

शारदातिलक का गुप्त वाराह मंत्र – जो भूमि, स्वर्ण और शत्रु नाश का सुनिश्चित तांत्रिक उपाय है!
शारदातिलक का गुप्त वाराह मंत्र – जो भूमि, स्वर्ण और शत्रु नाश का सुनिश्चित तांत्रिक उपाय है!

ॐ नमो भगवते वाराहरूपाय… इस मंत्र का जप और विशेष होम विधि साधक को संपत्ति, प्रतिष्ठा और भूमि विवाद से मुक्ति दिला सकती है – शारदातिलक तंत्र से प्रमाणित!

वाराह

वराहावतार के अद्भुत मंत्र – भूमि दोष, अस्थिरता और बाधाओं से छुटकारे का दिव्य तांत्रिक उपाय!
वराहावतार के अद्भुत मंत्र – भूमि दोष, अस्थिरता और बाधाओं से छुटकारे का दिव्य तांत्रिक उपाय!

शारदातिलक तंत्र और अन्य ग्रंथों से लिए गए ये वराह मंत्र भूमि, स्थिरता और ऐश्वर्य के लिए अद्भुत फलदायक हैं – जानिए विधिपूर्वक प्रयोग और फलश्रुति।

वराहावतार

भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार के दुर्लभ मंत्र – जानिए उपनिषदों में वर्णित उनके चमत्कारिक लाभ
भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार के दुर्लभ मंत्र – जानिए उपनिषदों में वर्णित उनके चमत्कारिक लाभ

भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार के दुर्लभ मंत्र – जानिए ज्ञान और मेधा देने वाले इन रहस्यों को

विष्णु

सच्चिदानन्द रूप श्रीकृष्ण का यह दुर्लभ मंत्र पद्म पुराण में वर्णित है – जानिए कैसे करता है तीनों तापों का नाश और देता है मन को शांति
सच्चिदानन्द रूप श्रीकृष्ण का यह दुर्लभ मंत्र पद्म पुराण में वर्णित है – जानिए कैसे करता है तीनों तापों का नाश और देता है मन को शांति

सच्चिदानन्द रूप श्रीकृष्ण का यह दुर्लभ मंत्र पद्म पुराण में वर्णित है – जानिए कैसे करता है तीनों तापों का नाश और देता है मन को शांति

श्रीकृष्ण

नृसिंहानुष्टुभ् मंत्र: पांचरात्र आगम का गुप्त रहस्य जो शक्ति और रक्षा प्रदान करता है!
नृसिंहानुष्टुभ् मंत्र: पांचरात्र आगम का गुप्त रहस्य जो शक्ति और रक्षा प्रदान करता है!

अहिर्बुध्न्य संहिता में वर्णित भगवान नृसिंह का यह दुर्लभ अनुष्टुभ् मंत्र साधना और सुरक्षा का अलौकिक स्त्रोत है। जानें इसके रहस्य।

अहिर्बुध्न्य

इस एक नृसिंह गायत्री मंत्र से मिलेगी शत्रुओं पर विजय और अद्भुत सुरक्षा!
इस एक नृसिंह गायत्री मंत्र से मिलेगी शत्रुओं पर विजय और अद्भुत सुरक्षा!

ॐ उग्रनृसिंहाय विद्महे... यह मंत्र न केवल भौतिक शत्रुओं से रक्षा करता है, बल्कि आंतरिक भय और अज्ञान को भी दूर करता है।"

नृसिंह

ऐसे और लेख