अहिर्बुध्न्य संहिता में इसका मूलपाठ प्राप्त होने पर दिया जा सकता है। वर्तमान स्निपेट्स में केवल इसका उल्लेख है, मूलपाठ नहीं।
अहिर्बुध्न्य संहिता, जो एक महत्वपूर्ण पांचरात्र आगम ग्रन्थ है।
भगवान् नृसिंह।
अहिर्बुध्न्य संहिता में इसका विस्तृत वर्णन अपेक्षित है। यह संहिता नृसिंह उपासना के गूढ़ रहस्यों को प्रकट करती है। अनुष्टुभ् छंद में होने के कारण यह मंत्र विशेष लय और शक्ति से युक्त हो सकता है। अहिर्बुध्न्य संहिता जैसे पांचरात्र आगम का स्रोत इसे गूढ़ और प्रामाणिक बनाता है। अहिर्बुध्न्य संहिता पांचरात्र साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है, जो वैष्णव उपासना और दर्शन के गूढ़ पहलुओं को उजागर करता है। इस संहिता में नृसिंहानुष्टुभ् मंत्र का होना यह दर्शाता है कि यह मंत्र विशिष्ट अनुष्ठानों और साधना पद्धतियों का हिस्सा रहा होगा, जो सामान्य साधकों के लिए अल्पज्ञात है। अनुष्टुभ् छंद वैदिक और पौराणिक मंत्रों में व्यापक रूप से प्रयुक्त होता है और इसकी एक विशिष्ट लयबद्धता होती है जो मंत्र के प्रभाव को बढ़ा सकती है।
अहिर्बुध्न्य संहिता में इसका मूलपाठ प्राप्त होने पर दिया जा सकता है। वर्तमान स्निपेट्स में केवल इसका उल्लेख है, मूलपाठ नहीं।
अहिर्बुध्न्य संहिता, जो एक महत्वपूर्ण पांचरात्र आगम ग्रन्थ है।
भगवान् नृसिंह।
अहिर्बुध्न्य संहिता में इसका विस्तृत वर्णन अपेक्षित है। यह संहिता नृसिंह उपासना के गूढ़ रहस्यों को प्रकट करती है। अनुष्टुभ् छंद में होने के कारण यह मंत्र विशेष लय और शक्ति से युक्त हो सकता है। अहिर्बुध्न्य संहिता जैसे पांचरात्र आगम का स्रोत इसे गूढ़ और प्रामाणिक बनाता है। अहिर्बुध्न्य संहिता पांचरात्र साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है, जो वैष्णव उपासना और दर्शन के गूढ़ पहलुओं को उजागर करता है। इस संहिता में नृसिंहानुष्टुभ् मंत्र का होना यह दर्शाता है कि यह मंत्र विशिष्ट अनुष्ठानों और साधना पद्धतियों का हिस्सा रहा होगा, जो सामान्य साधकों के लिए अल्पज्ञात है। अनुष्टुभ् छंद वैदिक और पौराणिक मंत्रों में व्यापक रूप से प्रयुक्त होता है और इसकी एक विशिष्ट लयबद्धता होती है जो मंत्र के प्रभाव को बढ़ा सकती है।