यह मंत्र भागवत महात्म्य से है, जो कृष्ण भक्ति की महिमा को स्थापित करता है। "तापत्रय विनाशाय" विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक कष्टों से मुक्ति का संकेत देता है। पद्म पुराण एक प्रमुख वैष्णव पुराण है, और इसके अंतर्गत भागवत महात्म्य का विशेष स्थान है। "सच्चिदानन्द रूपाय" ब्रह्म के स्वरूप को इंगित करता है, जिससे यह मंत्र गहन दार्शनिक पृष्ठभूमि वाला सिद्ध होता है।
सच्चिदानन्द रूपाय विश्वोत्पत्यादि हेतवे तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयम नुमः।
स्रोत: पद्म पुराण (श्रीमद्भागवत महात्म्य)।
देवता: श्रीराधाकृष्ण।
अर्थ/फलश्रुति: सच्चिदानन्द स्वरूप, विश्व की उत्पत्ति-पालन-संहारकर्ता, तीनों तापों (आध्यात्मिक, आधिदैविक, आधिभौतिक) का विनाश करने वाले श्रीराधाकृष्ण को हम नमन करते हैं।
विधि: भक्तिपूर्वक जप।
यह मंत्र भागवत महात्म्य से है, जो कृष्ण भक्ति की महिमा को स्थापित करता है। "तापत्रय विनाशाय" विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक कष्टों से मुक्ति का संकेत देता है। पद्म पुराण एक प्रमुख वैष्णव पुराण है, और इसके अंतर्गत भागवत महात्म्य का विशेष स्थान है। "सच्चिदानन्द रूपाय" ब्रह्म के स्वरूप को इंगित करता है, जिससे यह मंत्र गहन दार्शनिक पृष्ठभूमि वाला सिद्ध होता है।
सच्चिदानन्द रूपाय विश्वोत्पत्यादि हेतवे तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयम नुमः।
स्रोत: पद्म पुराण (श्रीमद्भागवत महात्म्य)।
देवता: श्रीराधाकृष्ण।
अर्थ/फलश्रुति: सच्चिदानन्द स्वरूप, विश्व की उत्पत्ति-पालन-संहारकर्ता, तीनों तापों (आध्यात्मिक, आधिदैविक, आधिभौतिक) का विनाश करने वाले श्रीराधाकृष्ण को हम नमन करते हैं।
विधि: भक्तिपूर्वक जप।