भगवान् वराह ने पृथ्वी का उद्धार करने हेतु अवतार लिया था। अतः इनके मंत्र भूमि-संबंधी समस्याओं, स्थिरता, ऐश्वर्य प्राप्ति और बाधा-निवारण के लिए विशेष फलदायी माने जाते हैं। शारदातिलक जैसे प्रतिष्ठित तंत्र ग्रन्थ से प्राप्त मंत्र की विस्तृत विधि और फलश्रुति इसे अत्यंत गोपनीय और शक्तिशाली बनाती है। "भूपतित्वं देहि" (भूमि का स्वामित्व दो) का स्पष्ट उल्लेख इस मंत्र की भूमि-संबंधी समस्याओं के निवारण की क्षमता को इंगित करता है। विभिन्न होम द्रव्यों (कमल, अमलतास, चावल, शहद, धान) के साथ विशिष्ट फलश्रुतियों का वर्णन तांत्रिक सिद्धांतों के अनुरूप है, जहाँ द्रव्य और मंत्र का संयोजन विशिष्ट परिणाम उत्पन्न करता है।
मंत्र १: ॐ वराहाय नमः।
मंत्र २: ॐ सूकराय नमः।
मंत्र ३: ॐ धृतसूकररूपकेशवाय नमः।
स्रोत: पंजाब केसरी में एक लेख में उल्लेखित।
देवता: भगवान् वराह।
फलश्रुति: इन मंत्रों के जाप से समस्याओं का समाधान होता है और मन एकाग्र होता है।
विधि: षोडशोपचार पूजा के उपरांत इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।
भगवान् वराह ने पृथ्वी का उद्धार करने हेतु अवतार लिया था। अतः इनके मंत्र भूमि-संबंधी समस्याओं, स्थिरता, ऐश्वर्य प्राप्ति और बाधा-निवारण के लिए विशेष फलदायी माने जाते हैं। शारदातिलक जैसे प्रतिष्ठित तंत्र ग्रन्थ से प्राप्त मंत्र की विस्तृत विधि और फलश्रुति इसे अत्यंत गोपनीय और शक्तिशाली बनाती है। "भूपतित्वं देहि" (भूमि का स्वामित्व दो) का स्पष्ट उल्लेख इस मंत्र की भूमि-संबंधी समस्याओं के निवारण की क्षमता को इंगित करता है। विभिन्न होम द्रव्यों (कमल, अमलतास, चावल, शहद, धान) के साथ विशिष्ट फलश्रुतियों का वर्णन तांत्रिक सिद्धांतों के अनुरूप है, जहाँ द्रव्य और मंत्र का संयोजन विशिष्ट परिणाम उत्पन्न करता है।
मंत्र १: ॐ वराहाय नमः।
मंत्र २: ॐ सूकराय नमः।
मंत्र ३: ॐ धृतसूकररूपकेशवाय नमः।
स्रोत: पंजाब केसरी में एक लेख में उल्लेखित।
देवता: भगवान् वराह।
फलश्रुति: इन मंत्रों के जाप से समस्याओं का समाधान होता है और मन एकाग्र होता है।
विधि: षोडशोपचार पूजा के उपरांत इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।